Thursday 28 May 2020

लॉकडाउन का भार उठा रहा हर इंसान!



आयुषी जैन 

करीब 5807505 केस और 357807 मौत आज की तारीख में दर्ज है और ये सब लॉकडाउन होने के बावजूद है। मुझे ये सोच कर भी डर लगता है कि अगर ये लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो क्या हालत होती भारत की? क्या हालत होती पूरी दुनिया की? जहां एक तरफ ये सही लगता है वहीं दूसरी तरफ इसका पूरी तरह बंद होना मुनाज़िम नहीं।

हमने ऐसी ऐसी तस्वीरें देखी है जिससे हमारी आंखे नम हुई है। वहीं मजदुर इतने मजबूर है की खाने के लिए सड़क पर पड़ा कुत्ता खा रहे हैं,  एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पांच गुना किराया दे रहे हैं, भूखे प्यासे नंगे पैर कड़ी धुप में चले जा रहे हैं। कोई एक साल के बच्चे के साथ तो कोई 80 साल की वृद्धा के साथ। कई मजदुर अपनी मंज़िल तक पहुंच पा रहे हैं तो कोई बीच राह में ही दम तोड़ रहे हैं। कोई ट्रैन के नीचे आ रहा है तो कोई गरीबी के कारण अपना दम तोड़ रहा है।

लोगों के घर में खाने के लिए खाना, पीने के लिए पानी नहीं है। कइयों के पास तो रहने के लिए छत ही नहीं है। ऐसे में ये लॉकडाउन सबकी चिंता का कारण है।

टोटल लॉकडाउन ने हम से हमारी जरुरत की चीज़े छीन ली। एक मां को उसके बच्चों से तो एक पुलिस वाले को अपने घर से न जाने कितने दिन दूर रखा है और रखेगा। एक सवाल सबके मन में है कब ये सब खत्म होगा, कब हम नॉर्मल लाइफ जी पाएंगे। मैं एक ऐसे शहर से हूं जो रेड जोन में है, मेरे लिए इस सवाल का जवाब मिलना जैसे गर्मी में बिजली चले जाना है।

तो सही तरीका क्या है ?

सही तरीका है खुद के शरीर को, अपने बच्चों को इसके लिए तैयार करना। आज नहीं तो कल हम सब को बाहर निकलना ही पड़ेगा। चाहे मजबूरी में ही सही।

तो आइए इस टाइम अपनी और अपने बच्चो के शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत करे। अगर हम उनको सदा के लिए सुरक्षित रखना चाहते है तो

कुछ सुझाव :

45- 60 मिनट daily  सैर का नियम बनाए। उम्र कोई भी हो आपकी, खुद के लिए इतना तो कर ही सकते हो।

खुद को और अपने बच्चो को ज्यादा से ज्यादा शारीरिक मेहनत की आदत डाल ले। मशीनों की बजाय खुद के शरीर पर विश्वास रखें।

पैदल चलना, साइकिल चलाना, सीढ़ी चढ़ने की आदत अब अच्छी आदत में शुमार हो गई है। कार, स्कूटर का लालच दूर रखें।

धूप में सारे विटामिन और जीवन के लिए जरूरी तत्व है। 10-15 मिनट सुबह सूर्य देव के दर्शन कर लें।

जिन आंवला, अदरक, नीबू, गिलोय, फल, सलाद जैसी कुदरती चीज़ को पैक्ड फूड के चलते हम भूल गए है। उनको ही दोबारा जीवन में उपयोग करना है। आज डॉक्टर  बोल रहे है कि इनका उपयोग करें।

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